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है मुझे यकीं खिलेंगे फूल, ना हो निराश, वहां कभी



है मुझे यकीं खिलेंगे फूल, ना हो निराश,
वहां कभी तो खिलेंगे फूल, फलाश।
फिर से महकेगा चमन होगी बहार।
नए आयेंगे फूल वहां, उनकी हो तलाश।


आज हर शख्स सकूं की तलाश में भटक रहा।
नही एक पल जिन्दगी को चैन, उसे ढूंढ रहा।
राहें सफर की होती हैं कुछ पथरीली,
और अधिक पाने की होड़ में सुख शांति खो रहा।


हमसफर की तालाश में निकल आए दूर।
पांव में पड़ गए छाले, ढूंढने को हम मजबूर।
है आस लगाए बैठे हैं, कभी तो मिलेगा हूर।
रहते हो सदा हृदय में, नहीं तुम हमसे दूर।

©Ayush S. (Sanchay)
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#loV€fOR€v€R  ABRAR IshQपरस्त IrFaN༎ຶ⁠‿⁠༎ຶSaEeD Hrishi Vishal 007 शरद सम्भली