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नाजुक सी इक डोर आँखो मे नज़र आती रही, मुझे जिंदगी

नाजुक सी इक डोर आँखो मे नज़र आती रही, 
मुझे जिंदगी की खामियों को दिखलाती रही, 
लावारिश का आज भी रब के शिवा कोई नही, 
वो खामोश आँखे मुझे बार बार रुलाती रही।। वीर

©Veer Singh Sengar #daaman
नाजुक सी इक डोर आँखो मे नज़र आती रही, 
मुझे जिंदगी की खामियों को दिखलाती रही, 
लावारिश का आज भी रब के शिवा कोई नही, 
वो खामोश आँखे मुझे बार बार रुलाती रही।। वीर

©Veer Singh Sengar #daaman