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मिलना - बिछड़ना अगर किस्मत से होता है !!! तो इंसा

मिलना - बिछड़ना अगर किस्मत से होता है !!!

तो इंसान खुद में , इतना क्यों रोता है ,
क्यों मिलने की चाह में , अपना चैन खोता है ,
साथ रहने के , नए-नए सपने संजोता है ,
क्यों दिल खुद से ज्यादा , उसके लिए धड़कता है ,
जो होता तो दूर है ... पर दुनिया में सबसे अनमोल होता है ।

उसका गलत भी , क्यों सही लगता है ? 

कैसे ? उसकी इच्छा को , उसके बिन कहे दिल समझता है ,
क्यों इंसान उसे इतने जतनो से खोजता है...

अगर सब किस्मत से होता है ! क्या सब किस्मत से होता हैं ?
मिलना - बिछड़ना अगर किस्मत से होता है !!!

तो इंसान खुद में , इतना क्यों रोता है ,
क्यों मिलने की चाह में , अपना चैन खोता है ,
साथ रहने के , नए-नए सपने संजोता है ,
क्यों दिल खुद से ज्यादा , उसके लिए धड़कता है ,
जो होता तो दूर है ... पर दुनिया में सबसे अनमोल होता है ।

उसका गलत भी , क्यों सही लगता है ? 

कैसे ? उसकी इच्छा को , उसके बिन कहे दिल समझता है ,
क्यों इंसान उसे इतने जतनो से खोजता है...

अगर सब किस्मत से होता है ! क्या सब किस्मत से होता हैं ?