किस ओर बढ़े? आगे क्या करें? क्या है सही? कहीं ये गलत तो नहीं? ऐसे कई अनगिनत जवाबों की तलाश में, बढ़ रहें है आगे ज़िन्दगी के कारवां पर। ज़िन्दगी भी ना जाने कितने रंग दिखाती है, एक पल हंसती है, दूजे ही पल बेहद रुलाती है। कब किस मोड़ पर क्या मिल जाए, ये कौन जानता है? ये ज़िन्दगी है जनाब, यहां अपना ही अपनों को गैर मानता है। Any writer can write about *"उलझे हैं हम ज़िंदगी के सवालों में" *RULES*📜- 1. The word given above must come atleast once in your write-up. *Poem should be in maximum 20lines/200 words,*