.. इबादत इतमीनान पे खिले आग़ाज़ जुनून की शिद्दत सलीके, दुआ मिन्नत खैरात सी थी तब नेक नीयत का रौब रहा जब..! .. खुशामदीद..💝 २०१७ की दर्ज़ की हुई, उस बरस था इस रोज गुरूपर्व..