ख़ामोश निगाहें कहती हैं, हर बात अधूरी है। हर ख़्वाब अधूरे हैं मेरे, अब हर रात अधूरी है। जिनके दरस को नैना तरसे, उनको कोई फर्क नहीं। उनकी इस बेपरवाही से, मेरी बरसात अधूरी है। सपनों का जहाँ सोचा था, मैंने उनकी बाहों में। उनको अपना बनाने की, मेरी अरदास अधूरी है। हर दर पे सज़दा किया, दुआ में उनको माँगा था। मेरे हाथों की लकीरों में, पर वो बात अधूरी है। ऐ काश मेरे अरमानों का, अब दम ना घुटने पाए। मेरे हिस्से की बची हुई, अब हर साँस अधूरी है। ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1109 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।