White जमाने वालो से मुझे सदा बचा के रखो। किसी ग्लाफ के नीचे मुझे छुपा के रखो।। इसी तरफ से कोई आज आने वाला है। इसी मुंडेर पे दीपक कोई जला के रखो।। तुम्हारी शर्म ही हुस्न व अदा का जेवर है। हया भी कहती है, आंखो को हो तुम छुपा के रखो।। तुम्हारा घर ही तुम्हारे लिए वो जन्नत है। बड़े सलीके से इस घर को तुम सजा के रखो।। बडे बडे भी तो रहते है आजिजि से यहां। अना को तुम भी रमजानी इक तरफ हटा के रखो।। 24/10/15 ©MSA RAMZANI गजल