हमनें आज शायद एक गुनाह कर दिया। पिंजरे में कैद पंछी को रिहा कर दिया । और करता रहा वो उड़ने की गुजारिश । ना जाने कितनों ने उसकी ख्वाहिशों को तबाह कर दिया। sandeep Rohilla