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लौट आया हूँ मैं अपने घर से अपने घर तय करके कितने ह

लौट आया हूँ मैं अपने घर से अपने घर
तय करके कितने ही जन्मों का सफर। 
मन शुक्रिया तेरा लुभावनी सैर के लिए 
बलिहारी तुझपे लख बारी  मेरे रहबर। 
पार लगा दी तूने नय्या बन के खिव्वैया
नहीं तो फंसा रह जाता मैं बीच भंवर। 

लौट आया हूँ मैं अपने घर से अपने घर
तय करके कितने ही जमानों का सफर। 

बी डी शर्मा चण्डीगढ़ 
12.102020

 वापसी
लौट आया हूँ मैं अपने घर से अपने घर
तय करके कितने ही जन्मों का सफर। 
मन शुक्रिया तेरा लुभावनी सैर के लिए 
बलिहारी तुझपे लख बारी  मेरे रहबर। 
पार लगा दी तूने नय्या बन के खिव्वैया
नहीं तो फंसा रह जाता मैं बीच भंवर। 

लौट आया हूँ मैं अपने घर से अपने घर
तय करके कितने ही जमानों का सफर। 

बी डी शर्मा चण्डीगढ़ 
12.102020

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