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मुझ पे ज़ुल्म का तसलसुल तुम क्या जानो मैं एक मर्द

मुझ पे ज़ुल्म का तसलसुल तुम क्या जानो
मैं एक मर्द हूं मेरा दर्द तुम क्या जानो

इन आंखों से आंसू कभी छलकते नहीं
खुश्क आंखों में तपिश तुम क्या जानो

जिम्मेदारियों का बोझ इस तरह से हावी है
भाई की पढ़ाई और बहन भी कुंवारी है

बीवी से दूर हूं और मां की दवा लानी है
पापा को दिखता नहीं चश्मा उन्हें दिलानी है

टुकड़े टुकड़े में बट गया हूं तुम क्या जानो
मैं एक मर्द हूं मेरा दर्द तुम क्या जानो

एक आह भी करूं तो सब देखने लगते हैं
मर्द होके रोते हो सब पूछने लगते हैं

कहने का तो मै घर का राजा हूं मुमताज़
अपने प्रजा से दूर रहने का दर्द तुम क्या जानो

©MM Mumtaz मुझ पे ज़ुल्म का तसलसुल तुम क्या जानो
मैं एक मर्द हूं मेरा दर्द तुम क्या जानो

इन आंखों से आंसू कभी छलकते नहीं
खुश्क आंखों में तपिश तुम क्या जानो

जिम्मेदारियों का बोझ इस तरह से हावी है
भाई की पढ़ाई और बहन भी कुंवारी है
मुझ पे ज़ुल्म का तसलसुल तुम क्या जानो
मैं एक मर्द हूं मेरा दर्द तुम क्या जानो

इन आंखों से आंसू कभी छलकते नहीं
खुश्क आंखों में तपिश तुम क्या जानो

जिम्मेदारियों का बोझ इस तरह से हावी है
भाई की पढ़ाई और बहन भी कुंवारी है

बीवी से दूर हूं और मां की दवा लानी है
पापा को दिखता नहीं चश्मा उन्हें दिलानी है

टुकड़े टुकड़े में बट गया हूं तुम क्या जानो
मैं एक मर्द हूं मेरा दर्द तुम क्या जानो

एक आह भी करूं तो सब देखने लगते हैं
मर्द होके रोते हो सब पूछने लगते हैं

कहने का तो मै घर का राजा हूं मुमताज़
अपने प्रजा से दूर रहने का दर्द तुम क्या जानो

©MM Mumtaz मुझ पे ज़ुल्म का तसलसुल तुम क्या जानो
मैं एक मर्द हूं मेरा दर्द तुम क्या जानो

इन आंखों से आंसू कभी छलकते नहीं
खुश्क आंखों में तपिश तुम क्या जानो

जिम्मेदारियों का बोझ इस तरह से हावी है
भाई की पढ़ाई और बहन भी कुंवारी है
bazmeyaaraan7224

MM Mumtaz

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