साथ जो कभी माँगा था उस टूटते तारे से कभी मेने तुझे और तूने मुझे, उस पल को मै कैसे भुला दूँ दूर जो तू हुआ है आज मुझसे इतना ,तेरे साथ बिताया लम्हा में कैसे भुला दूँ। तड़पती है आज भी तेरे दीदार को मेरी आँखे ,बता ना मेरे दिल को क्या दिलासा दूँ। कैद है मेरे दिल में तेरे साथ बिताया हर पल, इनसब को दिल से कैसे रिहा दूँ। बता ना तेरे साथ बिताया हर लम्हा कैसे भुला दूँ। ©vandanaverma