यह पत्तों की सरसराहट कुछ गुनगुनाती है जमीन पर चलते ऐसे हैं जैसे सितार पर उंगलियां चलाती है लेकिन अहम हिस्सा उस हवाका है जो पत्तों से होकर अपनी जगह बनाती है