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सृजन ने मुझे गोद मे उठाया और घर के अंदर जाने लगा|

सृजन ने मुझे गोद मे उठाया और घर के अंदर जाने लगा| 
सब मंद मंद मुस्कुराहट के साथ यह नजारा देख रहे थे उन 
सबके लिए तो जैसे किसी फिल्म का रोमांटिक सीन
 चल रहा हो विजया ने विनीता को कुछ इशारा किया| 
विनीता ने फट से अपने मोबाइल में गाना लगा दिया 
"बाहों के दरमियां दो प्यार मिल रहे हैं"
हमारे पीछे वो तीनो भी आ रहे थे और हम दोनो को 
देख सब मुस्कुरा रहे थे सृजन खुद भी मुस्कुरा रहा था| 
उसने मेरी तरफ देखा मेरी नजरे झुकी हुई थी,मै बिना
 उसकी तरफ देखे बोली नीचे वाले फ्लोर के रूम ही रहने दीजिये|
सृजन-तुम इतनी भारी भी नही और ना ही मै इतना कमजोर|
मुझे तो इस तरह तुम्हें गोद मे उठाकर पूरी दुनिया घूमनी है 
ये तो बस चंद सीढ़ियॉ है|
"मै चुप रही मेरी नजरे उसकी नजरो से जा मिली 
मुझे हमेशा उसकी आॕखो वही दिखता जिसे देखने से मै डरती"
"उसकी आॕखो मे हमेशा मुझे मेरे लिये निस्वार्थ,
निर्मल और निश्चल प्रेम ही दिखता इसलिये मै उसकी 
आॕखो मे देखने से कतराती थी की....की....कही....
मै भावनाओ मे बह कर कमजोर ना पड़ जाऊ...
.कही मेरे कमजोर हो जाने पर सृजन की अच्छाई की आग मे 
मेरे प्रेम के घी पड़ जाने से वो जल ना जाए"
"मै नही जानती मै सृजन से प्यार करती हूॕ या नही 
मगर उसकी परवाह करती हूॕ"
मै उसे बर्बाद होते हुए नहीं देख सकती थी और 
उसके बर्बादी की वजह मैं बनूं ये तो बिल्कुल नहीं चाहती थी"

मेरी लिखी कहानी"सृजन की चाहत" के कुछ अंश

©Chanchal Chaturvedi 
#सृजन_की_चाहत 
#boat
सृजन ने मुझे गोद मे उठाया और घर के अंदर जाने लगा| 
सब मंद मंद मुस्कुराहट के साथ यह नजारा देख रहे थे उन 
सबके लिए तो जैसे किसी फिल्म का रोमांटिक सीन
 चल रहा हो विजया ने विनीता को कुछ इशारा किया| 
विनीता ने फट से अपने मोबाइल में गाना लगा दिया 
"बाहों के दरमियां दो प्यार मिल रहे हैं"
हमारे पीछे वो तीनो भी आ रहे थे और हम दोनो को 
देख सब मुस्कुरा रहे थे सृजन खुद भी मुस्कुरा रहा था| 
उसने मेरी तरफ देखा मेरी नजरे झुकी हुई थी,मै बिना
 उसकी तरफ देखे बोली नीचे वाले फ्लोर के रूम ही रहने दीजिये|
सृजन-तुम इतनी भारी भी नही और ना ही मै इतना कमजोर|
मुझे तो इस तरह तुम्हें गोद मे उठाकर पूरी दुनिया घूमनी है 
ये तो बस चंद सीढ़ियॉ है|
"मै चुप रही मेरी नजरे उसकी नजरो से जा मिली 
मुझे हमेशा उसकी आॕखो वही दिखता जिसे देखने से मै डरती"
"उसकी आॕखो मे हमेशा मुझे मेरे लिये निस्वार्थ,
निर्मल और निश्चल प्रेम ही दिखता इसलिये मै उसकी 
आॕखो मे देखने से कतराती थी की....की....कही....
मै भावनाओ मे बह कर कमजोर ना पड़ जाऊ...
.कही मेरे कमजोर हो जाने पर सृजन की अच्छाई की आग मे 
मेरे प्रेम के घी पड़ जाने से वो जल ना जाए"
"मै नही जानती मै सृजन से प्यार करती हूॕ या नही 
मगर उसकी परवाह करती हूॕ"
मै उसे बर्बाद होते हुए नहीं देख सकती थी और 
उसके बर्बादी की वजह मैं बनूं ये तो बिल्कुल नहीं चाहती थी"

मेरी लिखी कहानी"सृजन की चाहत" के कुछ अंश

©Chanchal Chaturvedi 
#सृजन_की_चाहत 
#boat