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कलम की नोक पर दो बूंद स्याही कितने ख़्वाबों की ये

कलम की नोक पर दो बूंद स्याही
कितने ख़्वाबों की ये प्यास बन आई
लिखी गई तारीख़ कभी आशनाई
लड़ी गई सच की जाने कितनी लड़ाई
कितने अबोल शब्दों ने तस्वीर है पाई
बिटिया के हाथ में कलम, करती है पढ़ाई
अशनाए मुसव्विर ने ताबीर है पाई
हमकदम बहन के साथ चलता तो है भाई
फिर कलम की रूह ने मात है कहां खाई
ख़्वाबों से पटी है गहरी है ये खाई
हर ओर से पुकारती हुई आवाज़ है आई
चार कदम चलके दो कदम वो लौट आई
पिंजरा तोड़कर भी उड़ना नहीं आसान है भाई
कलम की नोक पर लहू की जज़्ब सियाही
हिम्मत के साथ ही है उसके दर्द की गवाही
दस्तख़त ने उसकी मौज़ू एहमियत नहीं पाई
कलम की नोक पर रखी है उसकी समाही
चुका रही है अब तलक वो कर्ज़ की पाही
पुरखिन ने उसकी चुप्पी मोल ली थी मनाही
चलती गई कदम दर कदम मिलते गए राही
इसी कलम से उसने अपनी नई राह बनाई
कलम की नोक पर दो बूंद रूबाई 
ज़िन्दगी को फिर हसरत से उसने देखा था भाई


 #toyou #yqbeingagirl #historyshackles #yqlove #yqself #yqfreedom #yqmarchingon
कलम की नोक पर दो बूंद स्याही
कितने ख़्वाबों की ये प्यास बन आई
लिखी गई तारीख़ कभी आशनाई
लड़ी गई सच की जाने कितनी लड़ाई
कितने अबोल शब्दों ने तस्वीर है पाई
बिटिया के हाथ में कलम, करती है पढ़ाई
अशनाए मुसव्विर ने ताबीर है पाई
हमकदम बहन के साथ चलता तो है भाई
फिर कलम की रूह ने मात है कहां खाई
ख़्वाबों से पटी है गहरी है ये खाई
हर ओर से पुकारती हुई आवाज़ है आई
चार कदम चलके दो कदम वो लौट आई
पिंजरा तोड़कर भी उड़ना नहीं आसान है भाई
कलम की नोक पर लहू की जज़्ब सियाही
हिम्मत के साथ ही है उसके दर्द की गवाही
दस्तख़त ने उसकी मौज़ू एहमियत नहीं पाई
कलम की नोक पर रखी है उसकी समाही
चुका रही है अब तलक वो कर्ज़ की पाही
पुरखिन ने उसकी चुप्पी मोल ली थी मनाही
चलती गई कदम दर कदम मिलते गए राही
इसी कलम से उसने अपनी नई राह बनाई
कलम की नोक पर दो बूंद रूबाई 
ज़िन्दगी को फिर हसरत से उसने देखा था भाई


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