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“”कर्मण्यकर्म य: पश्चेदकर्मणि च कर्म य: ! स बुद्धि

“”कर्मण्यकर्म य: पश्चेदकर्मणि च कर्म य: !
स बुद्धिमान् मनुष्येषु सयुक्त: स युक्त: कृत्स्त्रकर्मकृत् !!””

कर्म में जो अकर्म को देखे और
अकर्म में जो कर्म को देखे,
उसको बुद्धिमान कह रहे हैं भगवान्।
अकर्म नाम ब्रह्म का है, कर्म नाम माया का है।
ज्ञान के आधार पर माया रूप कर्म चल रहा है।
यह दृष्टि ही कर्म-बन्ध से छुड़ाने वाली होती है !
यहां प्रस्तुत श्लोक ही
“कर्मण्येवाधिकारस्ते …” का स्पष्टीकरण है
जिसको ईशावास्य के मंत्र के आधार पर
भगवान् ने यहां स्पष्ट किया है🔯😊🕉-


(कैप्शन देख ही लीजिए 😃)🔯🕉🔯💠 🔯🕉🔯#Good morning🔯🕉🔯💠
अन्धं तम: प्रविशन्ति येउविद्यामुपासते।
ततो भूय इव ते तमो य उ विद्यायां रता: ।।”

अर्थात् जो अविद्या रूप कर्म में ही रात-दिन लगे रहते हैं,
ब्रह्म भाव और भगवान् भाव जिनके चित में कभी आता ही नहीं,
उनके लिए कहा जा रहा है कि वे
अंधकार रूप तम में डूब जाते हैं।
“”कर्मण्यकर्म य: पश्चेदकर्मणि च कर्म य: !
स बुद्धिमान् मनुष्येषु सयुक्त: स युक्त: कृत्स्त्रकर्मकृत् !!””

कर्म में जो अकर्म को देखे और
अकर्म में जो कर्म को देखे,
उसको बुद्धिमान कह रहे हैं भगवान्।
अकर्म नाम ब्रह्म का है, कर्म नाम माया का है।
ज्ञान के आधार पर माया रूप कर्म चल रहा है।
यह दृष्टि ही कर्म-बन्ध से छुड़ाने वाली होती है !
यहां प्रस्तुत श्लोक ही
“कर्मण्येवाधिकारस्ते …” का स्पष्टीकरण है
जिसको ईशावास्य के मंत्र के आधार पर
भगवान् ने यहां स्पष्ट किया है🔯😊🕉-


(कैप्शन देख ही लीजिए 😃)🔯🕉🔯💠 🔯🕉🔯#Good morning🔯🕉🔯💠
अन्धं तम: प्रविशन्ति येउविद्यामुपासते।
ततो भूय इव ते तमो य उ विद्यायां रता: ।।”

अर्थात् जो अविद्या रूप कर्म में ही रात-दिन लगे रहते हैं,
ब्रह्म भाव और भगवान् भाव जिनके चित में कभी आता ही नहीं,
उनके लिए कहा जा रहा है कि वे
अंधकार रूप तम में डूब जाते हैं।

🔯🕉🔯Good morning🔯🕉🔯💠 अन्धं तम: प्रविशन्ति येउविद्यामुपासते। ततो भूय इव ते तमो य उ विद्यायां रता: ।।” अर्थात् जो अविद्या रूप कर्म में ही रात-दिन लगे रहते हैं, ब्रह्म भाव और भगवान् भाव जिनके चित में कभी आता ही नहीं, उनके लिए कहा जा रहा है कि वे अंधकार रूप तम में डूब जाते हैं।