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कीचड़ में रहकर भी जो, कमल सा खिलना आ गया..! संयम क


कीचड़ में रहकर भी जो,
कमल सा खिलना आ गया..!
संयम का बाँध बना,
मुश्किलों से लड़ना आ गया..!
क्या डर फिर मृत्यु का,
समझो जीना आ गया..!

©SHIVA KANT
  #jeenaaagya

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