चौथा हो गया चौथा स्तंभ का सच लिख नहीं रहा है विकास 8 साल का हो गया फिर भी दिख नहीं रहा है। ट्रैन,प्लेन सरकारी दफ्तर,जमीन सब तो बिक गये पर लोग गज़ब के है,कह रहे कि बिक नहीं रहा है। बच्चे-बच्चे धर्म मजहब की बोली बोलने लग गये है और तुम कह रहे हो नफरत कोई सीख नहीं रहा है। मंदी,मंहगाई,बेकारी और निजीकरण की स्कीम से देश इतना परेशान हैं कि बस मांग भीख नहीं रहा है। दिन ब दिन बढते जा रही है तानाशाही सरकार की सड़क पे उतर हल्ला बोले वो विपक्ष दिख नहीं रहा है। निचे से ऊपर तक सब कुछ तो बेंच खरीद लिया तुमने पर बड़ी कमाल की बात #रविश बिक नहीं रहा है। उनका ज़मीर मरा होगा या होगी गुलामी की आदत अपुन सच लिखेंगे क्या हुआ कोई लिख नहीं रहा है। संजय अश्क बालाघाट मप्र 9753633830 ©Sanjay Ashk #Dark