ऐ नारी हर भूमिका तू बखूबी निभाती है Check caption for entire poem. नारी एक तेरा वर्चस्व, हैं अनेकों तेरे रूप. सदैव है तू अडिग खड़ी, छाँव हो या धूप. बेटी बन के माँ का हाथ बंटाती है हो कोई दुविधा या परेशानी कोई,