मैं चला जहाँ से तू मिला वहाँ न था वही मग़र तू दिखा वहाँ न चलते चलते खाखें छानी मैंने हर राहों की पर फिर भी तू दिखा कभी न फिर फिर चलता,चलता ही जाता खुदा की तलाश में मैं खुद में ही ढलता भी जाता ढलते ढलते खुद से खुद बना मै ढाल बना मै भी अब तक मेरा खुद मुझसे मिटा न फिर भी तू तब भी दिखा न खोजा जब खुद में खुद को खुद से तो सारा चलना उसी पल में मैं भूल गया जब मैं खुद को भी भूल गया बस पल भर में तू तभी मिला ©Abhimanyu Dwivedi रहस्य