जेठ की तपती धूप गई सावन का मीठा फुहार गया चांद ने बदले रूप बहुत से जाने कितना त्योहार गया अपने हाथ से पराठे जाने कब खिलाओगे बता महबूब मेरे घर कब आओगे घर कब आओगे ✍️ दीपेंद्र कुमार Reetika Joshi anjali jain