मैं जिंदगी जीना भूल ही गया। एक इंसान का जिस दिन से, सफर शुरू हुआ। उस दिन से उसने सिर्फ संघर्ष ही किया। 17 साल स्कूल में बिताया, 18 का हुआ तो कॉलेज पाया, 24 साल तक डिग्री मिली, फिर 6 साल नौकरी की तलाश की। 30 का हुआ तो बंधन मैं बंध गया, फिर दो बच्चे और मेरा परिवार पूरा हुआ, पैसे कमाकर उड़ाने की बजाए, मैंने तो पैसे हर वक्त बचाने को सोचा, अपना फर्ज पूरा करते-करते ,मैं जिंदगी जीना ही भूल गया। हम बूढ़े बच्चे बड़े हुए, वक्त कैसे बीत गया कुछ पता ही ना चला, बच्चों के बच्चे हुए घर थोड़ा छोटा पड़ गया , तू बहुओं ने अनाथ आश्रम का रास्ता दिखा दिया। जिस वक्त मुझे सहारे की जरूरत थी, मेरा सहारा अपनी जिंदगी में मशरूफ था। जब ज़िंदगी जीने का वक्त आया तो उम्र ने ही साथ छोड़ दिया। बीमार हुआ मैं, मुझे टीवी की बीमारी ने घेर लिया खांसते-खांसते मैं बस एक बार अपने परिवार को देखने को तरस रहा था। वृद्ध आश्रम में चारपाई में सोए मैं अपने ख्वाबों में खोया था, कभी मौत की शहजादी ने दर जोवाजा खटखटाया, तब मेरी नींद खुली और मेरा शरीर मेरी आत्मा से अलग हो चुका था। मुझे उस वक्त समझ आया कि इस जिंदगी की भाग दौड़ में, मैं अपनी जिंदगी जीना तो भूल ही गया। अर्पिता शिवहरे Appy ❤️✍️ #Bloom old age story # saport karo friends # जिंदगी का हर लम्हा जियो, क्योंकि वक्त कब बीत जाएगा कुछ पता ही नहीं चलेगा, तो जिंदगी का हर पल ❣️ dear Zindagi ke naam ❣️