सावन की पहली घटा से पूर्व से आने वाली हवा से..! बारिश की पहली बूँद से रात में जुगनुओं की गूँज से मिट्टी में उठी सौंधी महक से पँछियों की भोर की चहक से..! खिलती कलियों की अँगड़ाई में दूर कहीं सुमधुर बजती शहनाई में..! हर उस शै में याद आते हो तुम जो दिल को सुकून दे, तुम भी मेरी वही तलब हो जो ज़िंदगी को जीने का जुनून दे..! सावन की पहली घटा से पूर्व से आने वाली हवा से..! बारिश की पहली बूँद से रात में जुगनुओं की गूँज से मिट्टी में उठी सौंधी महक से