सोंचता है तू,, तो मिलने से रही मंज़िल तुझे,, देखता है सपने तू,, तो देख दुनिया नहीं जानती सपने तेरे,, कुछ कर गुज़रने की आग है गर तुझमें,, तो उठ सोंच मत आगे बढ़ क्या है तेरे पास, दुनिया क्या कहती है इस सोंच में समय जाया न कर,, बड़ी शुरुआत जब होती है तो अफवाह बहुत उड़ते हैं पर वही सही समय होता है कुछ कर गुजरने का ,, और जब नयी लाइन लिख चुका होगा तू तो वही दुनिया महान बोलेगी तुझे,,,, मेहनत कर दुनियादारी की ऐसी की तैसी