"कभी यूँ भी मिलो तुम मुझको जैसे मिलती है नदी मुद्दतों बाद समंदर से, जैसे मिलती है भटकते राही को छाँव पेड़ की, जैसे मिलती है चाँदनी धुप अंधेरे से, जैसे मिलती है सुबह उजाले की पहली किरण से, जैसे मिलती है तसल्ली किसी प्यासे पंछी को पानी के मिल जाने से , कभी मिलो इस तरह मैं डूब जाऊं तुममें डूब जाओ मुझमें" कभी यूँ भीमिलो..........@s.s😊 ©Sanjiv Chauhan #इस तरह