शृंगार तेरी दो आखें बेहद सुंदर है यारा... उनमे कभी मैंने तराजू नहीं देखा... तुम्हारी जुबां मिठी भी है कडवी भी... पर कभी नोकीला लफ्ज नहीं सुना... तेरा यह शृंगार भी गजब का है यारा... दिल करूणामय मुख शालिन रखा है... तुम्हारा चेहरा भी बेहद खुबसूरत है... हलकी सी मुस्कां बहाव रोक रखी है... तू एक दरीया सा है जो सागर से मिला... पर अपने मिठास का हिसाब ना रखा... मुझे ले चल, तुझ संग बहना चाहता हू... घुलकर तुझमें मैं ना मैं रहना चाहता हूं... ©Ashish Deshmukh #शृंगार #कविता #poem #Dil #mohabbat #Love #Shayar #Pyar #Heart #OneSeason