एक ही सत्य है जो..... अकाट्य किन्तु अप्रमाणित भी "मृत्यु"...सब भरम तोड़ देती है सारी अवधारणाएं भी मृत्यु में आपके अंतिम भाव अकल्पनीय होते है.. आपकी सोच और सब धारणाओं से बिलकुल अलग ...!!! मनु अकाट्य