.. नींद टूटी.. देखा, बादल ओड़े सुबह आई है, शिकन सी लिये आलस की ओस छाई है, कुछ रुखी सी, आदतन सिर पे गगरी चड़ाई और पूरानी पहचानी राह पे निकल आई, आंखों में लिये सपनों की धुंधली परछाई, खोया न गवाया न कुछ भूल आई फिर ज़िंदगी यूं क्यों हो आई मन नहीं किया, आज नहीं मुस्कुराई..! .. 🌱खुशामदीद..💞 (अक्तुबर २०१६ में दर्ज़ की हुई)