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तुम और कविता क्या कहूँ मैं तुम्हारे और कविता के लि

तुम और कविता क्या कहूँ मैं तुम्हारे और कविता के लिए
ये तो वो अनदेखा बन्धन है जो तुम्हारे न होने पर मुझे तुमसे जोड़ता है।

एक वक्त था जब तूने ही थमाई थी कलम मेरे हाथ मे कविता लिखने के लिए
और आज वो कविता तेरे साथ न होने पर मुझे तेरा एहसास कराती है।

वो भी क्या वक़्त था जब हम इन कविताओं में अपने जज़्बात एक दूसरे को बयां करते थे
और आज भी क्या वक़्त है जब अपने जज़्बातों को तुझ तक पहुंचाने के लिए इन कविताओं की जरूरत लिया करते है #TumAurKavita
तुम और कविता क्या कहूँ मैं तुम्हारे और कविता के लिए
ये तो वो अनदेखा बन्धन है जो तुम्हारे न होने पर मुझे तुमसे जोड़ता है।

एक वक्त था जब तूने ही थमाई थी कलम मेरे हाथ मे कविता लिखने के लिए
और आज वो कविता तेरे साथ न होने पर मुझे तेरा एहसास कराती है।

वो भी क्या वक़्त था जब हम इन कविताओं में अपने जज़्बात एक दूसरे को बयां करते थे
और आज भी क्या वक़्त है जब अपने जज़्बातों को तुझ तक पहुंचाने के लिए इन कविताओं की जरूरत लिया करते है #TumAurKavita
priyasingh1490

Priya Singh

New Creator