वो नारे की गूँज,,वो तक़बीर की ललकार,, वो यज़ीद का ज़ुल्म वो अब्बास की यलगार,, कांप उठा क़र्बला का ज़र्रा-ज़र्रा बिजली की सिफ़त चली मेरे हुसैन की तलवार #Hope