मनुष्य की ख्वाहिश है कि खुले आसमान में उड़े, परिंदों की ख्वाहिश है कोई आशियाना हो अपना, मौसम बदलते ही बदलने पड़ जाते हैं घौसले इनकोे, न जाने किस जगह इन्हें अपना घौसला बनाने की इजाजत मिले, जहां घौसला बने जरूरी नहीं वहां दाना पानी भी मिले, खुद के आंसू छुपाने के लिए ही ये दूर गगन में उड़ते हैं, पंछियों में बैर कभी बिना वजह नहीं होता, कभी किसी भी तरह की हिंसा शायद नहीं होती,तभी तो एक जगह से दाना चुनकर अपने-अपने परिवार के पास उड़ जाते हैं #उड़तापंछी