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बड़ी इमारतों की नींव में कुछ आंसू पड़े हैं चमचमाते श

बड़ी इमारतों की नींव में कुछ आंसू पड़े हैं
चमचमाते शीशों के घाव हाथों पर बने हैं
वो लोग कौन हैं जो ये काम करते
खुद की भूख में तपकर रोटी हमें वो देते
वो अन्नदाता प्राणदाता हैं हमारे
पिता की तरह समाज का पोषण जो करते
हम मस्त हैं जीवन की कोरी सार्थकता में
कृतघ्न बन, कृतज्ञता से, दूर कोसों खड़े हैं
एक बार तो उनकी व्यथा को महसूस करलें
चंद खुशियां उनकी थाली में भी परोसें
प्रेम मिश्रित अपने निश्छल अश्रुओं से 
एक बार तो उनके घावों पर मरहम लगाएं
क्या इतने स्वार्थी हो गए हैं हम
जो उस देवता को उचित स्थान भी दे न पाए
धिक्कार है कुत्सित विचारों से बनी उन मूर्तियों को
समाज को, उसकी बनाई सारी थोती परंपरा को
जो अपने रचयिता को उपेक्षाओं का उपहार देती
ना मंदिरों में पूजती ना ही हृदयों में स्थान देती। #feather 
#happy_labour_day
#मजदूर 
#an_unsung_hero
🙏
बड़ी इमारतों की नींव में कुछ आंसू पड़े हैं
चमचमाते शीशों के घाव हाथों पर बने हैं
वो लोग कौन हैं जो ये काम करते
खुद की भूख में तपकर रोटी हमें वो देते
वो अन्नदाता प्राणदाता हैं हमारे
पिता की तरह समाज का पोषण जो करते
हम मस्त हैं जीवन की कोरी सार्थकता में
कृतघ्न बन, कृतज्ञता से, दूर कोसों खड़े हैं
एक बार तो उनकी व्यथा को महसूस करलें
चंद खुशियां उनकी थाली में भी परोसें
प्रेम मिश्रित अपने निश्छल अश्रुओं से 
एक बार तो उनके घावों पर मरहम लगाएं
क्या इतने स्वार्थी हो गए हैं हम
जो उस देवता को उचित स्थान भी दे न पाए
धिक्कार है कुत्सित विचारों से बनी उन मूर्तियों को
समाज को, उसकी बनाई सारी थोती परंपरा को
जो अपने रचयिता को उपेक्षाओं का उपहार देती
ना मंदिरों में पूजती ना ही हृदयों में स्थान देती। #feather 
#happy_labour_day
#मजदूर 
#an_unsung_hero
🙏
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gaurav

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