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मुहब्बत में कई नगमें अधुरे टुट जाते हैं, बगावत में

मुहब्बत में कई नगमें अधुरे टुट जाते हैं,
बगावत में कई अपने पीछे छुट जाते हैं। 
हुकुमत की जो मर्जी है वो सरकार ही जाने
गुरु की हाय लगी जब-जब सिंहासन लुट जाते हैं ।

मुहब्बत में कई नगमें अधुरे टुट जाते हैं, बगावत में कई अपने पीछे छुट जाते हैं। हुकुमत की जो मर्जी है वो सरकार ही जाने गुरु की हाय लगी जब-जब सिंहासन लुट जाते हैं । #कविता

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