कब तक रहोगें, ताबूतों में भला साँसों का मोल तो लगाओ जरा। यह बंजर पडी है, ज़मी जो सारी एक छोटा सा पौधा लगाओ जरा।। 😷 टूटे हुए तारों से कभी माँगा जिसे बिछड़ने का अंदाजा लगाओ जरा। सपनो में खोया, यह रातों का भ्रम था सुबह, श्मशानों से तो जगाओ जरा।। कब तक रहोगें, ताबूतों में भला साँसों का मोल तो लगाओ जरा। यह बंजर पडी है ज़मी जो सारी एक छोटा सा पौधा लगाओ जरा।। टूटे हुए तारों से कभी माँगा जिसे बिछड़ने का अंदाजा लगाओ जरा। सपनो में खोया, यह रातों का भ्रम था