देखते हैं कब तक नहीं रोक पाओगे अपने हत्याचारो को वो भी किसी की बेटियाँ है जो देखती आ रही है बलात्कारो को देखते है कब तक चलेगी एक ही खबर अखबारो में देखते हैं कब तक मिलते रहोगे पत्रकारो से यूँही नहीं काम चलता रहेगा नमस्कारो से देखते है कब तक बंधे रहेगे हाथ अपने ही नाकारो से हालंकि की फिजूल के चर्चे चलते रहेगे वो भी संस्कारों के कब तक डोंग करोगे बन कर नकलचियों व्यापारो से हाँ वहीं तो मैं कहती हूँ रुक कर देखो बच्चियों को वो कब तक बंध कर रहेगी ढोरो कच्चिओ को कब तक संभाल-संभाल उठाओगे कदम कांचो भरी जिंन्दगी के हाँ वहीं तो कुछ पल ही आजाद है बंदगी के ©@rapperjagsir Resham viraangna Arthor RoXx khadir official Arthor RoXx poet pari srivastava