रखने के लिये याद की तोफा जो उसने दिया हैं काँटों की सौगातो का वो कभी जहन से नहीं निकल सकता अब दुबारा माफी नही लिए उसके हमारी जिसने तडपन में मोडा हैं ओर ऐ दिल होकर कठोर नही पिघल सकता फूल कर मुरझा आ जाते हैं दोबारा फूल कर मुरझा आ जाते हैं दोबारा पर दिल ये हमारा जो जखमी हैं कोई दोबारा नहीं सिल सकता