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गर मुमकिन नहीं है साथ हमारा, तो बेमतलब का है संसार

गर मुमकिन नहीं है साथ हमारा,
तो बेमतलब का है संसार तुम्हारा।

गर दूरी ही लिखी थी किस्मत में हमारी,
तो क्यूँ दिया तुमने बाँहों का सहारा।

वफ़ा किसी और से, साथ किसी और का,
तो ये दिल कैसे जियेगा, तुम बिन बेचारा।

मुस्कुराहटें तुमसे हैं, मेरी चाहतें तुमसे है,
कैसे होगा तुम बिन, इस दिल का गुजारा।

मेरी साँस भी तुम हो, मेरी आस भी तुम,
नादान दिल का है, बस एक ही सहारा।

मजबूर और दूर किया है किस्मत ने हमें,
वरना हम एक होते, ना होता किनारा। ♥️ Challenge-531 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। 

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गर मुमकिन नहीं है साथ हमारा,
तो बेमतलब का है संसार तुम्हारा।

गर दूरी ही लिखी थी किस्मत में हमारी,
तो क्यूँ दिया तुमने बाँहों का सहारा।

वफ़ा किसी और से, साथ किसी और का,
तो ये दिल कैसे जियेगा, तुम बिन बेचारा।

मुस्कुराहटें तुमसे हैं, मेरी चाहतें तुमसे है,
कैसे होगा तुम बिन, इस दिल का गुजारा।

मेरी साँस भी तुम हो, मेरी आस भी तुम,
नादान दिल का है, बस एक ही सहारा।

मजबूर और दूर किया है किस्मत ने हमें,
वरना हम एक होते, ना होता किनारा। ♥️ Challenge-531 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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