झूठी शान के ये परिंदे ही सबसे ज्यादा फड़फड़ाते हैं, वरना तरक्की के बाज की उड़ान में कभी आवाज कहां होती है, बस जब मिलती है उसे मंजिल उसके हिसाब से, तो फिर दहशत उसकी खुद ब खुद होती है, और आसमान की वो खामिशियां बयां कर देती हैं, उसके किस्से जमाने भर में... #शिवेन्द्र नाथ गुप्ता 'शिव' ©Shivendra Gupta 'शिव'