तेरे गालो को खींच कर तुझे इतना हंँसाता था कुछ इस तरह से, तेरे होठों पर मुस्कान लाता था तू रूठती तो, तुझे कुछ ऐसी ही मनाता था तुझे मनाने में, मैं ख़ुद को ही भूल जाता था तुम्हारी मुस्कान से अपनी मुस्कान बनाता था सारे जहां की खुशियांँ मैं, तुझमें ही पाता था 🎀 Challenge-217 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। आप अपने अनुसार लिख सकते हैं। कोई शब्द सीमा नहीं है।