मकानों के जंगल में खो गया है, बच्चों का चहकना, रिश्तों के प्रसूनों का महकना, बहती नहीं यहाँ 'नेह' की नदी, केवल कंक्रीटों की दीवारें हैं खड़ी, चारों और फैला ईर्ष्या और द्वेष का जाल है, ये मानवता पर उठता सवाल है। मकानों के जंगल में खोने वाली जिंदगी को समेटने के लिए आखिर कौन हवाल है। #मकानोंकेजंगल #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi