मैंने देखा है दीपों को जलते बुझते अंगारों में झंझावातों से लड़ करके आलोकित होते तारों में देखे बनते बनता दुकूल तन का जड़तम सा सपना है नित दिन प्राची की रेख चीर आये प्रभात वह अपना है नूतन प्रभात को पाने तक मुझमें मैं नभ का साया हूँ मैं देख रहा नभ फोड़ धरा मैं भी मिट्टी का जाया हूँ।1। #kumarmridul #yqdidi #yqbaba #yqhindi