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एक साल गया, एक नया साल, आने को है । अपनी सर्द भर

एक साल  गया, 
एक नया साल, आने को है ।
अपनी सर्द भरी हवा, 
हमारे ऊपर, बरसाने को है ।।
कुछ हमारी तो, 
कुछ अपनी, सुनाने को है ।
बीते साल बहुत दुख देखे थे, हमने 
इस बार वो खुशियां नई, हमारे रास्ते बिछाने कोहै कुछ सपने अधूरे टूट गए तो,
कुछ अपने हमसे रूठ गए ।
कुछ लोगो ने, एक दूसरे के हाथ थामे तो 
कईयों के हाथ छूट गए ।।
बीते दो वर्ष कोरोना ने, हमे सताया इतना 
की हम हर रिश्ता,निभाने से 
ना जाने क्यों चूक गए ।।
पर अब याद वो, पुरानी भुलाते हैं 
नए साल को कुछ, इस तरह सजाते हैं ।।
रब की सौगात लिए, 
रिश्तों की बहार लिए, 
कुछ मीठा तुम बोलो 
कुछ मीठा हम बोलें, 
आओ सब मिलकर, नए साल का रंग 
सब मैं घोलें ।।
    लेखक – कुमार धीरज

©KUMAR DHEERAJ नया साल 
#newyear #Khusi #अपनी #apnikhani 

#Light
एक साल  गया, 
एक नया साल, आने को है ।
अपनी सर्द भरी हवा, 
हमारे ऊपर, बरसाने को है ।।
कुछ हमारी तो, 
कुछ अपनी, सुनाने को है ।
बीते साल बहुत दुख देखे थे, हमने 
इस बार वो खुशियां नई, हमारे रास्ते बिछाने कोहै कुछ सपने अधूरे टूट गए तो,
कुछ अपने हमसे रूठ गए ।
कुछ लोगो ने, एक दूसरे के हाथ थामे तो 
कईयों के हाथ छूट गए ।।
बीते दो वर्ष कोरोना ने, हमे सताया इतना 
की हम हर रिश्ता,निभाने से 
ना जाने क्यों चूक गए ।।
पर अब याद वो, पुरानी भुलाते हैं 
नए साल को कुछ, इस तरह सजाते हैं ।।
रब की सौगात लिए, 
रिश्तों की बहार लिए, 
कुछ मीठा तुम बोलो 
कुछ मीठा हम बोलें, 
आओ सब मिलकर, नए साल का रंग 
सब मैं घोलें ।।
    लेखक – कुमार धीरज

©KUMAR DHEERAJ नया साल 
#newyear #Khusi #अपनी #apnikhani 

#Light