कविता से अपनी मैं दूर रह नहीं सकता जो हुनर है ये मेरा उससे टूट नहीं सकता दुनिया चाहे कुछ भी कहे लिखना मैं छोड़ नहीं सकता ईश्वर का दिया वरदान है ये इसको मैं खो नहीं सकता कविता पूरी करना मैं भूल नहीं सकता जुड़े हुए शब्दों को मैं तोड़ नहीं सकता जिंदगी है मेरी ये इससे चूक नहीं सकता कविता से अपनी मैं दूर रह नहीं सकता ©VINAY PANWAR Nishi Pritika Gahlot Home Renovation manoj jai bahadur