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कविता से अपनी मैं दूर रह नहीं सकता जो हुनर है ये

कविता से अपनी
मैं दूर रह नहीं सकता

जो हुनर है ये मेरा
उससे टूट नहीं सकता

दुनिया चाहे कुछ भी कहे
लिखना मैं छोड़ नहीं सकता

ईश्वर का दिया वरदान है ये
इसको मैं खो नहीं सकता

कविता पूरी करना
मैं भूल नहीं सकता

जुड़े हुए शब्दों को
मैं तोड़ नहीं सकता

जिंदगी है मेरी ये
इससे चूक नहीं सकता

कविता से अपनी
मैं दूर रह नहीं सकता

©VINAY PANWAR Suman Sharma Nishi Pritika Gahlot Home Renovation manoj  jai bahadur
कविता से अपनी
मैं दूर रह नहीं सकता

जो हुनर है ये मेरा
उससे टूट नहीं सकता

दुनिया चाहे कुछ भी कहे
लिखना मैं छोड़ नहीं सकता

ईश्वर का दिया वरदान है ये
इसको मैं खो नहीं सकता

कविता पूरी करना
मैं भूल नहीं सकता

जुड़े हुए शब्दों को
मैं तोड़ नहीं सकता

जिंदगी है मेरी ये
इससे चूक नहीं सकता

कविता से अपनी
मैं दूर रह नहीं सकता

©VINAY PANWAR Suman Sharma Nishi Pritika Gahlot Home Renovation manoj  jai bahadur