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बादल कभी बरस जाए ज़मी पर बनकर बरसात! खोल अपनी झो

बादल

कभी बरस जाए ज़मी पर बनकर बरसात! 
खोल अपनी झोली को कर जाए तरबतर! 
भीग कर पृथ्वी में नई जान आ जाए! 
बूंद-बूंद शरारत करती महकाए बदन! 
मस्ती में बच्चे झूमते गाते मधुर सरगम! 
घनघोर घटा देख मचले हर किसी का मन, 
बादल भी खेलता संग कभी डराता गरज़कर-
कभी बिजलियाँ चमका देह में लाता सिहरन! 
सूरज निकलने को तड़पता, हँसता उसे देख बदरा! 
इन्द्रधनुष की रंगों में रंग जाता पूरा आकाश! 
प्रफुल्लित मन हर्षित उपवन सुंदरप्रकृति को दर्शाता! #rzmph199
#neha
#बादल
बादल

कभी बरस जाए ज़मी पर बनकर बरसात! 
खोल अपनी झोली को कर जाए तरबतर! 
भीग कर पृथ्वी में नई जान आ जाए! 
बूंद-बूंद शरारत करती महकाए बदन! 
मस्ती में बच्चे झूमते गाते मधुर सरगम! 
घनघोर घटा देख मचले हर किसी का मन, 
बादल भी खेलता संग कभी डराता गरज़कर-
कभी बिजलियाँ चमका देह में लाता सिहरन! 
सूरज निकलने को तड़पता, हँसता उसे देख बदरा! 
इन्द्रधनुष की रंगों में रंग जाता पूरा आकाश! 
प्रफुल्लित मन हर्षित उपवन सुंदरप्रकृति को दर्शाता! #rzmph199
#neha
#बादल