हैं अंधेरे ये घने और हैं घनी परछाईयां एक तरफ़ हैं कुएँ एक तरफ हैं खाइयाँ खुदसे मिलने की तमन्ना है मुझे अब खुद में है शोर बहुत खुद में ही तंहाइयाँ ©आला चौहान"मुसाफ़िर" #alathoughts #nojotopoetry #meltingdown