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जब मुझे हुआ था कोरोना। मेरी हद हुई अस्पता

जब मुझे हुआ था कोरोना।
         मेरी हद हुई अस्पताल के कमरे का कोना।

भैया,उठो इंजेक्शन का टाइम हो गया कह कर सुबह मुझे वह उठाती थी।
           फिर मेरे लिए कैंटीन से चाय और बिस्कुट मंगाती थी।

चाय वाला चाय देकर नाश्ता थोड़ी देर में आएगा कह कर चला जाता था।
      उस समय मुझे परिवार का हर सदस्य बहुत याद आता था।

भैया,पैर ऊपर करो कहकर रोज वो मेरे कमरे में पोछा लगाती थी।
        बीमार होने का खतरा उसे भी गंभीर था फिर भी वह रोज मेरा कमरा साफ कर जाती थी।

पानी गर्म आ रहा है नहा लो 
वार्डबॉय रोज मुझे बताता था।
      कभी-कभी दवाई वाला दवाई रखकर चला जाता था।

किसने मेरा इलाज किया किसने मुझे लगाई सुई।
      पीपीटी किट और मास्क के कारण मेरी उनसे कभी पहचान ही नहीं हुई।

उन सबकी आंखों में मुझे सेवा का भाव नजर आता था।
             सच कहूं  कभी-कभी  मुझे उन सब में भगवान नजर आता था।

(सभी डॉक्टर्स नर्स और पैरा मेडिकल स्टाफ के लिए समर्पित🙏)
 —निधीष सोलंकी

©Nidhish Solanki #Corona_Alert
जब मुझे हुआ था कोरोना।
         मेरी हद हुई अस्पताल के कमरे का कोना।

भैया,उठो इंजेक्शन का टाइम हो गया कह कर सुबह मुझे वह उठाती थी।
           फिर मेरे लिए कैंटीन से चाय और बिस्कुट मंगाती थी।

चाय वाला चाय देकर नाश्ता थोड़ी देर में आएगा कह कर चला जाता था।
      उस समय मुझे परिवार का हर सदस्य बहुत याद आता था।

भैया,पैर ऊपर करो कहकर रोज वो मेरे कमरे में पोछा लगाती थी।
        बीमार होने का खतरा उसे भी गंभीर था फिर भी वह रोज मेरा कमरा साफ कर जाती थी।

पानी गर्म आ रहा है नहा लो 
वार्डबॉय रोज मुझे बताता था।
      कभी-कभी दवाई वाला दवाई रखकर चला जाता था।

किसने मेरा इलाज किया किसने मुझे लगाई सुई।
      पीपीटी किट और मास्क के कारण मेरी उनसे कभी पहचान ही नहीं हुई।

उन सबकी आंखों में मुझे सेवा का भाव नजर आता था।
             सच कहूं  कभी-कभी  मुझे उन सब में भगवान नजर आता था।

(सभी डॉक्टर्स नर्स और पैरा मेडिकल स्टाफ के लिए समर्पित🙏)
 —निधीष सोलंकी

©Nidhish Solanki #Corona_Alert