बचपन और दादा जी बचपन मे मै एक काम जिम्मेदारी से करता था वो था जूते आलमारी मे सही से रखने का....उस दिन जूतो को रखते वक्त दादाजी के फटे पुराने जूते को देखकर मै तपाक से बोला दादा आप बदल क्यु नही देते ईन जूतो को दादा कहते कि नही ईस जूते ने मेरा जिम्मेदारी मे साथ दिया मै कैसे उसे छोड दू मै कहता कि दादा ये जिम्मेदारी भला क्या है... और दादा कहते भगवान हमे जिस काम के लिए दुनिया मे भेजते वही जिम्मेदारी है... मै भी अपने स्कूलके फटे जूते को देखाते हूए भोला दादा मै ईसे पहन कर निभा लू भगवान जी वाली जिम्मेदारी..... #plzlike #nojoto #nojotosayri