“भारत मां के वीर” शमशीर उठा, तलवार चला , ढाल बन के दिखाना है, ‘लाला’ की लाठी बन , अंग्रजों को दूर भगाना है। कि ‘जलियांवाला कांड’ देख कर, लाशें अब तो बिछाना है, ‘ऊधम’ के कट्टे सा टिक कर, अब ‘डायर’ को उड़ाना है, कि अब राष्ट्र भक्ति की लौ जलाने जाना है, भारत माँ के सोये वीरों को जगाने जाना है। व्यूह सजा , धनुष उठा , टीका करके आना है , अर्जुन को गांडीव उठाना है, शकुनी को कुरुक्षेत्र में ही अब तो धूल चटाना है, हिन्दू मुस्लिम जो कर रहे, श्मसान में उनको बिक जाना है, और फांसी चढ़े ‘भगत-गुरू’ को, ‘आजाद’ कर के दिखाना है, कि अब राष्ट्र भक्ति की लौ जलाने जाना है, भारत माँ के सोये वीरों को जगाने जाना है।। सर कटेगा , रक्त उड़ेगा, माहौल को अब लाल बनाना है, काली को रक्तबीज का रक्त पिलाने जाना है, तिरंगे में सोए सैनिक का, बदला लेके दिखाना है, जितने सर कटे सरहद पर, दुगने वापस लाना है, कि अब राष्ट्र भक्ति की लौ जलाने जाना है, भारत माँ के सोये वीरों को जगाने जाना है।। उम्मीद जगा , पंख उगा, उड़ के तुझको दिखाना है , जितनी उंगली उठी देश पर , जितने ‘अफज़ल’ बने देश में, उनको काटने जाना है , ‘महाराणा’ सा साहस भर , ‘पांडे’ को गोली चलाना है, कि अब राष्ट्र भक्ति की लौ जलाने जाना है, भारत माँ के सोये वीरों को जगाने जाना है।। शिवांक श्रीवास्तव ‘श्यामल’ Bharat ma k soye veer शमशीर उठा, तलवार चला , ढाल बन के दिखाना है, ‘लाला’ की लाठी बन , अंग्रजों को दूर भगाना है। कि ‘जलियांवाला कांड’ देख कर,