निशब्द हो रही हर किसी की बोली ज़रूरत भी नहीं हर इंसान को इंसानियत की रह गई है निरंतर बस नम आंखो की नमी अब सुकून भी कहा मिलता हैवानों की कश्ती बस दुनियां दिखा रही दिखावे की मस्ती रह नहीं गई ख़ुशी और प्यार सस्ती।। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को प्रतियोगिता:-52 में स्वागत करता है..🙏🙏 *आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।