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रौनक हैं जिनसे हमारा ज़माना, वो पूछते युं बेताब क्

रौनक हैं जिनसे हमारा ज़माना,
वो पूछते युं बेताब क्यूं हो?
समझना था जिन्हें हमारे इशारे,
वो समझते हैं हमें बेगाना।
पढ़कर तो देखो जनाब,
रूबैयत भी हम हैं, मंज़िल भी हम। प्रेमरोग#बेताबी#
रौनक हैं जिनसे हमारा ज़माना,
वो पूछते युं बेताब क्यूं हो?
समझना था जिन्हें हमारे इशारे,
वो समझते हैं हमें बेगाना।
पढ़कर तो देखो जनाब,
रूबैयत भी हम हैं, मंज़िल भी हम। प्रेमरोग#बेताबी#

प्रेमरोगबेताबी#