"जीवन को नकारने वाली लाखों वजहों में से गर जीवन को "चुनने" की सिर्फ़ एक वजह हो मेरे लिए "तो वो तुम हो" : सिर्फ़ तुम ......!!" - Anjali Rai ( शेष अनुशीर्षक में ...) क्या हुआ .... सब ठीक तो है ....कुछ अशांत सी हो पूछते ही स्पर्श किया माथे को दाहिने हथेली उलट कर .... तुम्हें ज्वर है क्या अंतर्मन इतना क्यूं तप रहा है आज तुम्हारा फ़िर किसी बोझ को राख किया है तुमने नब्ज़ इतनी तेज क्यूं चल रही तुम्हारी फ़िर कहीं कुछ छोड़कर भाग रही हो क्या मुख इतना काला क्यूं पड़ रहा है